आपकी गर्लफ्रेंड क्यो नही है ??
हम भोले भाले भले चंगे नौजवान है. औरों की तरह हमारा गुजरा भी दोस्तों की संगती
मे होता है।रोज मीटिंग "इंडिया गेट "(जयपुर) की चाये की थडी पर होती है
.!!! व्यर्थ की चर्चाये , भविष्य की "planning" ,गाना बजाना, तर्क - वितर्क या
हँसी मज़ाक करते करते शाम बीत जाती है;और जब से सतीश जी का कैमरे वाला मोबाइल आया
है फोटो शूट भी हो जाती है।
(फोटो:pushpendra paliwal(सतीश sir के कैमरे से मेरी तस्वीर) )
(फोटो:- सतीश भइया camare के sath )!!!
(फोटो:-चाये की थडी से; पीछे बाए से :sujit ,pushpendra(me) ,saurav, ankit, amit,anmole
आगे बाए से :vijay,anup,gaurav,pradeep)
हम बोले "हे प्रभु !
आजकल हमारे प्रिय मित्रो को क्या हो गया है?
वो मीटिंग मे नही आ रहे है?
क्या वो सुधर गए है?
क्या उनका लुक्कागिरी से विश्वास उठ गया है?
क्या वोः अब आदर्श छात्रों सा जीवन व्यतीत कर रहे है?"
हम को इतना चिंता मे पाकर हमारे वरिष्ठ ब्रजेश जी बोले "हे बालक!!
तू मित्रो की उपस्थिति को कम पाकर शोक मत कर ।
कोई सुधरा नही है।
युवावस्था मे कोई लुक्कागिरी को नही छोड़ सकता, ये ही शाश्वत सत्य है।
ये सब "velentine डे " का चक्कर है ।
सब अपनी अपनी गर्लफ्रेंड 'set' करने के लिए फोन पर लगे हुए होंगे ."
क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नही है ??
(फोटो :-हमारे senior brajesh sir)
इस प्रश्न को सुनकर हम मन ही मन मुस्कुराए ',
हमारी मुस्कराहट का एक कारण था,
कारण क्या वह तो "चाँद" और "फिजा" के बीच का बहुचर्चित प्रकरण था,
हम को पता था की इस चक्कर(लड़की के चक्कर का ) का अंत या तो सुखद होगा या दुखद होगा,
हमारे सीनियर की माने तो दुखद ही होगा,
प्यार मिला तो फ़ोन रिचार्ज कराने पडेंगे,
बिल देने पडेंगे,
और प्यार नही मिला तो मजनू को जूते भी खाने पडेंगे,
दुःख मे बुरी तरह से टूट जाएगा
और अपना गम भुलाने,
और लुकगिरी करने ,
यही थडी पर आयेगा .
जब कहानी यही ख़त्म होनी है!!
तोह हम यही सही!!
इस उत्तर को सुन भईया मुस्कुराये लगा की मैने उनकी कहानी बोले दी थी।
सब शांत हो गए ,चाये खत्म की और चल दिए । जाते जाते ये पंक्तियाँ सभी
युवा कुवारे(single) भाइयो के लिए।
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजर बंद न गा पाएंगे
कनक डोलियों से टकराकर
किंचित पंख टूट जायेंगे
हम बहता जल पीने वाले
मर जायेंगे भूखे प्यासे
कही भली है कटुक निम्बोरी
कनक कटोरी की मैदा से
!!
अजी ये भी एक तरह की लुक्कागिरी ही तो है. क्यों परेशान होते हैं?
ReplyDeleteपता नहीं आपको पता चले तो मेल लिखियेगा!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
दोनों के अपने लुत्फ़ है.....'लुक्कागिरी " शब्द .....दिलचस्प लगा
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
EK DAM KACH KACH HAI BHAI
ReplyDeletekhoobsurat blog ke liye badhai swikar karen.shabdo ki mayanagry me apka hardik abhinandan
ReplyDeleteजो प्यार में होता है उसे उसका नशा होता है ....और जो लुक्कागीरी में होता है उसे उसका ....सबके अपने अपने मजे हैं ..... :) :)
ReplyDeletegood, narayan narayan
ReplyDeleteब्लॉग की 'लुक्कागिरी' में स्वागत.
ReplyDeleteक्योकि मेरे पास पैसा कम है तो गर्ल फ़्रेन्ड को जयपुर के राज्मन्दिर मे नही ले जा सकता और ना तो वह फ़ोकट मे नाहरगद जयेगि इसिलिये नही है!!!!
ReplyDeleteबढिया पोस्ट लिखी है।
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