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Showing posts from January, 2009

भगवान के कान कहाँ है !!

आज सुबह जब "त्रस्त होकर"उठा तोह मन मैं एक विचार आया की आखिर भगवान के कान कहाँ है? यह प्रश्न न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि विचारनीय है क्योंकि हम कभी न कभी लाउड स्पीकरों से परेशान रहे है। अब वो चाहे हो :- सुबह की अजान दिन की पूजा शाम की आरती या रात मे जगराता (और भी ............) सब मैं एक समानता है==>आसमान की और मुह किए लाउड स्पीकर ! किस को सुना रहे हो भाई! भगवान को ; "क्या भगवान के कान आसमान में है!! " अरे भाई भगवान तोह दिल में बसते है,भगवान तोह हर एक में है ! उन में भी जो एन लाउड स्पीकरों से परेशान हो रहे है । लेकिन क्यो बोले क्योंकि हम भी तोः कल की पूजा में ऐसा करने वाले है! !!बसंत पंचमी की बधाई !! जय माँ सरस्वती

न्यूज़ चैनल खतरा ऐ जान

क्या आपका कोई दुश्मन है? कोई आपको परेशान कर रहा है? ज्यादा घबराए नही आप केवल भाईसाहब को न्यूज़ चैनल के सामने बैठा दीजिये .बाकि काम अपने आप हो जाएगा। अगले दिन से वो किसी चिंतामग्न नजर आएंगे । देखिया इस बीमारी ने क्या क्या गुल खिलाये है........ *मध्यप्रदेश की लड़की ने केवल इस लिए आत्महत्या की क्योंकि खबरिया चैनल ने उसे विश्वास दिला दिया था की महाप्रलय आने वाला है। *खबरिया की करतूत ने "ग्रेग चैपल" साहब की वाट लगा दी अजी साहब तो देर किस बात की नुस्का दिया है तोह आजमाऐ लेकिन ध्यान रहे खबरिया से बच के हम चले न्यूज़ देखने!!!

नया शब्द : कचकचाना

आज हम को नया शब्द मिला कचकचाना। शाब्दिक अर्थ शायद अभी तक गढा नहीं गया है; चलिए कचकचाने की कोशिश करते है। इस शब्द के कई मतलब हो सकते है ,मसलन १) बकवास करना अजी कचकचाईऐ मत अपना काम कीजिए। २)कोई विशेष काम आज तो कच कचाने का मन क़र रहा है। ३) :संबोधन ऐ कचकच! इधर आ। ४)गुप्त भाषा(प्राय छात्रों में लोकप्रिय ) कच कचाने चल रहे हो क्या? ५)मुसीबत तुम मेरी बात नहीं माने तो कचकचाहट हो जायेगी। ६)समय व्यतीत करना हम इन्टरनेट पर कचकचाते है। इस शब्द के असीमित मतलब है। चलिए अब आप भी कचकचाना चालू कीजिये . हम चलते है.